अमेरिका समेत तमाम विकसित देशों के भारत की ओर से बौद्धिक संपदा अधिकारों (आइपीआर) पर सवाल उठाने के बाद भारत सरकार ने सक्रियता बढ़ा दी है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जल्दी ही बौद्धिक संपदा पर एक समग्र नीति तैयार कर लेगा।
वाणिज्य व उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी देते हुए कहा कि अगले चार माह के भीतर नीति के मसौदे को सार्वजनिक बहस के लिए जारी कर देगा।
यही नहीं औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) में जल्दी ही एक थिंक टैंक भी होगा। यह आइपीआर से संबंधित मुद्दों को ज्यादा मजबूती से संभाल सकेगा। वाणिज्य व उद्योग मंत्री ने कहा कि भारत में अभी तक आइपीआर नीति नहीं है।
ऐसा पहली बार होगा जब हमारी सरकार बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित नीति ला रही है। यह मुद्दा लंबे समय से लटका हुआ है।
अपने मंत्रालय के सौ दिन के कामकाज का ब्यौरा देते हुए सीतारमण ने कहा कि इस नीति के बन जाने के बाद विकसित देशों द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों से निपटने में मदद मिलेगी। साथ ही भारतीय हितों को भी सुरक्षित रखा जा सकेगा।
नीति भारत के बौद्धिक संपदा अधिकारों को दिशा प्रदान करेगी। अमेरिका के साथ भारत के कई मुद्दों पर मतभेद है। भारत फार्मा के मामले में एक ब्रांड बन गया है। आइपीआर के मामले में भारत बेहद सशक्त है और अपने हितों को सुरक्षित रखना चाहता है।
मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआइ नहीं
सीतारमण ने मल्टीब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के सवाल पर फिर दोहराया कि सरकार इसके खिलाफ है। इसे किसी सूरत में इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसे लेकर सरकार किसी तरह की दुविधा में नहीं है। एफडीआइ के मामले में जो निर्णय मल्टीब्रांड रिटेल पर लागू होता है वही ई- कॉमर्स पर भी लागू होगा। लिहाजा वहां भी सरकार एफडीआइ की इजाजत नहीं देगी।
चीन से भारत में निवेश का आग्रह
मैन्यूफैक्चरिंग पर जोर देते हुए वाणिज्य व उद्योग मंत्री ने कहा कि सरकार चाहती है कि चीन की कंपनियां यहां निवेश करें। जून में भारत ने चीन के साथ देश में औद्योगिक पार्क स्थापित करने संबंधी समझौता किया है। "हमें उम्मीद है कि चीनी यहां आएंगे और निवेश करेंगे। हम उन्हें यह समझा पाएं हैं कि जिन वस्तुओं को वे निर्यात करते हैं उनका निर्माण भारत में ही करें।" चीनी प्रधानमंत्री के आगामी भारत दौरे में इस आशय के कई और समझौते होने की संभावना है।
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